Saturday 23 May 2009

भरी आँखे

भरी आँखों से देखे ख्वाब अक्सर टूट जाते हैं,
हुई नम अपनी आखों से कहो नूरानी होने को.
जो देखे ख्वाब, उन ख्वाबों को हरदम याद रखना तुम,
के चमकती शोख नज़रों से आसमाँ भी हैं झुक जाते.

कभी पलकें जो फिर हों नम, उन्हे नम होने देना तुम,
ज़माने से बचा के रखना अपनी भीगी पलकें तुम.
भरी आँखों से कहना सजदे मैं जाके बहा आँसू,
के सजदे मैं गिरे आँसू दुआ बन के उभरते हैं.

ये फ़ितरत आम है ज़ालिम ज़माने की सम्भलना तुम,
तुम्हे यूँ जान कर औरत कहीं कमज़ोर ना समझे.
ना रुकना तुम, ना थकना तुम, है रब ही तेरा रखवाला,
हो तुम औरत, मुक्कमल हो, तुम्हारी शान है आला

तमाशाई ज़माने से हमेशा दूर रहना तुम,
छुपे हैं भेड़िए अक्सर इधर इंसान की सूरत मैं.
बचाके रखना हर आँसू खुदा की इबादत को,
वही था संग, वही होगा, बस ये ही याद रखना तुम.

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