देख के दुनिया के गुम मैने अपनी दुआ वापस ले ली,
किस -किस की सुनेगा मलिक भी मैने अपनी जगह खाली करदी.
हैं बहुत पेरशन लोग यहाँ मेरी जगह पे सजदा करने को,
मैने दुनिया की खातिर यारों काफ़िर रहने की ज़िद कर ली.
तज़बी पे गुनाह गिने मैने, तज़बी पे सवाब चुने मैने,
गुनाह की गिनती लंबी थी, मेरी तज़बी दाना-दाना हुई.
मैने पिरोके फिर से दानो को, अपनी तज़बी ज़कात मैं दी,
दुनिया भूली सवाबों थी को, उम्मत ने छोरे गुनाह गिनने.
मैने उनकी गिनती की खातिर काफ़िर रहने की ज़िद कर ली
मैं गुनाह से बोझिल बैठी थी,मैने गुनाह मैं डूबे देख लिए.
हैं बहुत तड़प्ते बक्षिश को, मुझसे बदतर भी लोग यहाँ,
मैने उनकी बक्षिश की खातिर, काफ़िर रहने दी ज़िद करली.
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